जो बादलों में उतर रही गगन से आकर,
जो पर्वतों पर बिखर रही है सफ़ेद चादर,
वही तो मैं हूँ.... वही तो मैं हूँ....
जो इन दरख्तों के सब्ज़ पत्तों पे डोलती है,
जो ओस बनकर हर मौसम को खेलती है,
वही तो मैं हूँ.....वही तो मैं हूँ....
गुरुवार, 23 सितंबर 2010
Who are we
Who are we Hindu or Muslim
When there is ALI in DIWALI
and RAM in RAMZAN
Why can't we be united ?
Lets think !
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