आज हम चालीसवां करवाचौथ मना रहे हैं। इन वर्षों में इस पावन व्रत के साथ हम दोनों ने अपने जीवन में परंपरा और एक-दूसरे के प्रति गहरे समर्पण को स्थापित किया है। विवाह के पवित्र संकल्प ने हमारे घर में खुशियों के नए रंग भर दिए हैं और आज हमारे आंगन में आशी, अपूर्व और अक्षर महक रहे हैं। यह व्रत सिर्फ़ पति की लंबी आयु के लिए नहीं, बल्कि हमारे बीच के अटूट विश्वास, सम्मान और समझ को भी दोहराता है। हमारा यही प्रयास रहा है कि हम हमेशा इस प्रेम को निखारें, छोटी-छोटी बातों में भी एक-दूसरे का साथ निभाएं और एक दूसरे का हाथ थाम कर हर मुश्किल को आसान बनाएं।
करवाचौथ के त्यौहार पर हम यह मानते हैं कि शादी केवल संस्कार नहीं, बल्कि दो आत्माओं का साझा सफ़र है, जहाँ हर कदम पर एक-दूसरे का भरोसा, सम्मान और आत्मीयता ही इसे सरल और सहज बनाती है|
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