शनिवार, 9 अप्रैल 2011


नया सवेरा आओ, हम मिलजुल कर लाएँ,
भ्रष्टाचार मुक्त एक नया समाज बनाएँ !
मेरा देश रहे खुशहाल
हो तरक्की का संचार,
देख तरक्की अपनी
हो जाए भौचक संसार,
गाँधी का दौर चलो एक बार फिर लाएँ,
फिर एक दाँडी जैसा तूफ़ान देश में लाएँ,
तूफ़ान दाँडी का आया तो,
हर भ्रष्टाचारी घबराएगा,
भ्रष्टाचार का होगा खात्मा,
भारत विश्व-गुरू कहलाएगा,
आओ मिलजुल कर एक नई क्रांति लाएँ,
भ्रष्टाचार, भयमुक्त नया भारत बनाएँ !
जय हिंद ! 
जय भारत !

सोमवार, 4 अप्रैल 2011

घर


तुम जहाँ भी रहो
 उसे घर
 की तरह सजाते रहो
गुलदान में फूल सजाते रहो
दीवारों पर रंग चढ़ाते रहो
सजे-धजे घर में हाथ-पाँव उग आते हैं
फिर तुम कहीं भी जाओ
भले ही अपने आप को भूल जाओ
तुम्हारा घर! तुम्हारा घर!
तुम्हें ढूँढ कर वापस ले आएगा ।