बुधवार, 26 दिसंबर 2012

जीने का तरीका



क्यों कहें कि संसार बुरा है ?
क्या हम भी अंग नहीं इस संसार के ?
क्यों पड़ें इस बहस में कि ?
आप बुरे हैं या हम बुरे हैं
जीने आए हैं इस संसार में
जीके ही मरना है सबको, तो
क्यों न बने एक भला मानुष ?
क्यों न जिएँ एक बेहतरीन जीवन ?
क्यों न छोड़ें अपनी अच्छी छाप ?
क्यों न कहें कुछ मीठे वचन ?
क्यों न करें कुछ नेक करम ?
चलिए सोचें, विचारें, शुरू करें जीवन
पथ-प्रदर्शक का न सही पर
पथ-भ्रष्ट का कभी नहीं ।

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