शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

आज 12 दिसंबर 2020 है

 आज 12 दिसंबर 2020 है










आज ही के दिन 1963 में मम्मी और डैडी का विवाह हुआ था........हर वर्ष डैडी होते थे......पर इस वर्ष........
आज का दिन और भाव उनको समर्पित है-

प्रस्तुत कविता में दी गई सीख,वह सीख है ,जो डैडी ने मुझे दी......और मैंने उसे जीवन भर संजोया है....


बन कर दीप तुम्हें जलना है

 

थक न जाएं कदम तुम्हारे

राही तुम्हें और चलना है,

घोर निराशा के अंधकार में

बन कर दीप तुम्हें जलना है ॥

 

कर्म तुम्हारा केवल पूजा

और न साथी कोई न दूजा,

श्रम-ईश्वर के माथे पर ही

बनकर सुमन तुम्हें चढ़ना है ॥

 

यह दुनिया तो कर्म क्षेत्र है

जिसमें बस आना-जाना है,

मत घबराओ कभी दुखी न हो

बनकर पवन तुम्हें बहना है ॥

 

घोर निराशा के अंधकार में

बन कर दीप तुम्हें जलना है॥

 

तुम्हीं राम हो तुम्हीं श्याम हो

तुम जन-जन के प्राण अमर हो,

आगे कदम बढ़ाते जाओ

कभी नहीं पीछे हटना है ॥

                                                                       

मन वाणी से एक रहो तुम

कभी न खोना अपना संयम,

मातृभूमि के सदा ऋणी हो

इतना ध्यान सदा रखना है ॥

 

घोर निराशा के अंधकार में

बन कर दीप तुम्हें जलना है॥

 

बनो त्याग की मूर्ति हमेशा

कुछ तो कर जाओ ऐसा,

जिससे याद तुम्हारी आए

क्योंकि तुम्हें मरकर जीना है ॥

 

थक न जाएं कदम तुम्हारे

राही तुम्हें और चलना है,

घोर निराशा के अंधकार में

बन कर दीप तुम्हें जलना है ॥

  THANK YOU DADDY, कि मुझे आपकी बेटी होने का सौभाग्य मिला 👸