गुरुवार, 10 नवंबर 2011

सपने आते हैं


सपने आते हैं
जीवन-सत्य के रिसते घावों पर
मलहम मलते हैं
उनकी टीस, निशान तक
मिटा देते हैं ।

जीवन के अंधेरों को उजालों में,
शुष्कता को सरसता में
ठहराव को गति में
बदल देते हैं वे ।

दुनिया सुंदर लगती है,
जीवन-जिजीविषा बढ़ती है
कठिनाइयां-कर्कशता झेलने की
क्षमता लौट आती है ।

यदि स्वप्न नहीं होते
तो क्या हम जी पाते ?
शायद नहीं.......


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