सपने आते हैं
जीवन-सत्य के रिसते घावों पर
मलहम मलते हैं
उनकी टीस, निशान तक
मिटा देते हैं ।
जीवन के अंधेरों को उजालों में,
शुष्कता को सरसता में
ठहराव को गति में
बदल देते हैं वे ।
दुनिया सुंदर लगती है,
जीवन-जिजीविषा बढ़ती है
कठिनाइयां-कर्कशता झेलने की
क्षमता लौट आती है ।
यदि स्वप्न नहीं होते
तो क्या हम जी पाते ?
शायद नहीं.......
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