शहीद
कई लोग जीते जी मर जाते हैं
वो मर कर भी जी जाते हैं,
मौत क्या मार सकेगी उनको
क्योंकि वो दूसरो के खातिर वीरगति को पाते हैं
और वो शहीद कहलाते हैं,
जब हम बूँदों से नहाते हैं,तितली से इठलाते हैं
हवाओँ से मुस्कराते हैं
वो हमारे लिये चुपचाप तप जाते हैं,
तीसरी आँख बन हमें राहें दिखाते हैं,
नज़र ना लगे हमें किसी कि
इसलिये अपनी जान से, उसी शान से वो ढाल बन जाते हैं,
सूरज से दीवाने हैं, चांद से सुहाने हैं
बर्फ़ के अंगारे हैं, रातों के तारे हैं
पर जब देश पर खतरा मँडराता हैं
दुश्मन से डर सताता हैं
वो फोलाद के रथ पर अर्जुन बन जाते हैं
अपनी माँ को भूल कर दूसरों का चमन महकाते हैं,
साल बीतते हैं सदियाँ निकलती जाती हैं
वो असाधारण हैं सूरज से अमर हो जाते हैं,
और वो शहीद कहलाते है......
यादें सिमटती हैं, इतिहास बदलते हैं, पन्ने पलटते हैं
शहीद चमकते हैं ,शहीद दमकते हैं
चेहरे याद नहीं हैं, फिर भी वो महकते हैं,
वो खेत की मिटटी बन जाते हैं
शहर के चौराहों पर दिख जाते हैं
आसमान के बादलो में उन्हें पाते हैं
हवाओं में घुल जाते हैं
हम तो रोज़ मरते हैं
पर वो मर कर भी जी जाते हैं
और वो शहीद कहलाते हैं............
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