सोमवार, 11 मार्च 2013

मैं खुश होती हूँ


मैं खुश होती हूँ , जब कोई सपना देखती हूँ
मैं खुश होती हूँ जब उसे साकार होते हुए देखती हूँ ..
अगर विफल हो जाती हूँ तो कारण सोचती हूँ
फिर, सोचते-सोचते एक नयी दुनिया में भी पहुँच जाती हूँ..
बहुत समय तक इस दुनिया से कट जाने के बाद
मैं खुद को झकझोर के उठाती हूँ
पूछती हूँ खुद से, के

क्यों नही मैं वो पा पाती हूँ
जिसे सबसे ज्यादा पाने को अकुलाती हूँ
,
व्याकुल नैना रहते है हर पल निराश
फिर करते है वो अपने इष्ट देव को याद
प्रभु के सुमरन से ही कर पाती हूँ , मैं खुद को तैयार
फिर लग जाती हूँ देखने उस सपने को हज़ार बार
और फिर से खुश होकर तैयार हो जाती हूँ
भरने को एक नई और ऊँची उड़ान
..
और ऊँची....
और ऊँची उड़ान.......

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