जीवन |
कुछ सपनों के मर जाने से
जीवन नहीं मरा करता है
भविष्य सुधारने के लिए आप क्या करते हैं? सपने देखते हैं और उसे साकार करने की
कोशिशें करते हैं। सपने साकार हुए तो अच्छा और टूट गए तो …..? डर यहीं होता है, घबराहट यहीं होती है। भविष्य
संवारने के सिलसिले में मैं अपने ब्लाग पर गोपाल दास नीरज की उस कविता को रख रही हूँ,
जिसमें उन्होंने फरमाया है कि कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं
मरा करता है, चंद खिलौने के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।
सो, मित्रों परम आदरणीय, सुप्रसिद्ध
कवि व गीतकार नीरज जी के प्रति पूर्ण सम्मान भाव के साथ उनकी रचना मैं यहां अपनी
श्रृंखला में ऱख रही हूँ । इस आशा के साथ कि भविष्य संवारने की दिशा में जुटे
लोगों में इससे कुछ आशाओं का संचार हो पाए। सो पेश है गोपाल दास नीरज की यह अमर
रचना -
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों
मोती व्यर्थ लुटाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से
जीवन नहीं मरा करता है।
मोती व्यर्थ लुटाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से
जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुआ आंख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
सोया हुआ आंख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों
डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से
सावन नहीं मरा करता है।
डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से
सावन नहीं मरा करता है।
माला बिखर गई तो क्या है
खुद ही हल हो गई समस्या
आंसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
खुद ही हल हो गई समस्या
आंसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रुठे दिवस मनाने वालों
फटी कमीज सिलाने वालों
कुछ दीयों के बुझ जाने से
आंगन नहीं मरा करता है।
फटी कमीज सिलाने वालों
कुछ दीयों के बुझ जाने से
आंगन नहीं मरा करता है।
खोता कुछ भी नहीं यहां पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी
पहने सुबह धूप की धोती
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालों
चाल बदलकर जाने वालों
चंद खिलौनों के खोने से
बचपन नहीं मरा करता है
चाल बदलकर जाने वालों
चंद खिलौनों के खोने से
बचपन नहीं मरा करता है
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