शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

इस बार नहीं(Now I will stand against terrorism)


इस बार नहीं
जब कोई सिसकती हुई बच्ची मेरे पास आएगी,
उसके ज़ख्मों को मैं सहलाऊंगा नहीं,
नफ़रतों के बीज जो बोए,
नफ़रतें किसी और की उठाऊंगा नहीं,
इस बार नहीं
इस बार जब ज़ख्मों पर खून से लिपटा देखूंगा,
नहीं गाऊंगा गीत पीड़ा भुलाने वाले,
जख्मों को रिसने दूंगा,
गुज़रने दूंगा अंदर गहरे,
इस बार घावों को देखना है
गौर से थोड़े लंबे वक्त तक
कुछ फ़ैसले अब
उसके बाद हौसले
कहीं तो शुरुआत करनी होगी
इस बार यही तय किया है मैने,
और....
शायद हम सबने.........


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